शनिवार, 28 मार्च 2009

उम्मीद बाकी है.......

घनघोर तिमिर है,अरे!
पथिक पूछता पंथ कहाँ है?
दुःख व्यापित, काले नभ में सौन्दर्यित
वो आशामेघ कहाँ है?
दुखित न हो,पथविचलित न हो
अभी काफी उम्र बाकी है
शुभ ज्योत्सना युक्त रश्मि का
नवविहान अभी बाकी है।

रुको, देखो कैसी हिंसा है
गरीबी, अशिक्षा कितने पाप हैं
हाय! जन्मभूमि पर लगा कैसा श्राप है
कोई बताओ मुझे जरुर
परशुराम की कुठार कहाँ है?
नीलकंठ हृदय से निसृत
पावन विप्लव-गान कहाँ है?

दुखित न हो, क्रुद्धकम्पित न हो
अब थोड़ी ही उम्र बाकी है
अश्वाविराजित,विकराल खड़ग युक्त
एक अवतार अभी बाकी है
चन्द्ररहित निशा में
नवप्रकाश की उम्मीद बाकी है
उम्मीद बाकी है.........


1 टिप्पणी:

wanderer ने कहा…

kafi acchi kavita hai....sahi me vir ras jaga diya isane ander...
kafi accha likh rahe ho, aise hi likhate rahe to fir to ther saari ummiddein baki hain :-)