हमारे देश में यह प्रचलन हो गया है कि किसी भी काम के लिए हमें सुविधा शुल्क देना पड़ता है। यह एक स्पीड मनी होता है जो आपके काम में गति लाता है और यदि आप सुविधा शुल्क नहीं देंगे तो आप कोई भी काम नहीं करा सकते। इस तंत्र ने देश में एक ऐसी कानून व्यवस्था का निर्माण किया है जो आम आदमी को हाशिए पर रखता है। देश की इस लचर कानून व्यवस्था का नौकरशाह व राजनीतिज्ञ दिल खोलकर लाभ उठाते हैं लेकिन आम आदमी को कोई भी काम कराने के लिए सुविधा शुल्क का सहारा लेना पड़ता है। जन्म या मृत्यु प्रमाणपत्र लेना हो, या फिर भीड़ भरी ट्रेन में सीट, हमें सुविधा शुल्क देना ही पड़ता है।
राजनीतिज्ञों के लिए यह सुविधा शुल्क मुख्य रूप से चुनाव लड़ने के काम आता है। ऐसे माहौल में जहां सभी कुछ या तो गैरकानूनी है या अवैध तरीके से प्राप्त किया जा रहा है, नियम कानून की बात करना बेमानी हो गया है। नियम कानून का पालन करने वाले लोग भी जब यह देखते हैं कि भ्रष्टाचारी फल फूल रहे हैं तो वे भी इस दबाव के आगे झुक जाते हैं। आज देश में बढ-चढ कर आम आदमी की बात की जा रही है। देश पर आए-दिन आंतरिक और बाहरी ख़तरों की बात होती रहती है मगर कोई इस सबसे बड़े ख़तरे की बात नहीं करता जो देश की जड़ों को खोखला कर रहा है। देश का हर नागरिक तभी खुद को सुरक्षित महसूस कर सकता है जब सामान्य कार्यों जैसे कि ड्राईविंग लाईसेंस या गृह लोन लेने के लिए सुविधा शुल्क नहीं देना होगा। जब तक ऐसा नहीं हो जाता तब तक आम आदमी को सुविधा शुल्क देना होगा क्योंकि उन्हें जिंदा रहना है।
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