नई दिल्ली, 24सितंबर: भारतीय जन संचार संस्थान में ‘हिन्दी का भविष्य बनाम भविष्य की हिन्दी’ विषय पर आयोजित संगोष्ठी में देश के जाने-माने संपादकों ने अपने विचार रखे। सी.एन.ई.बी न्यूज़ चैनल के सीईओ और प्रधान संपादक राहुल देव, नई दुनिया के राष्ट्रीय संपादक मधुसूदन आनंद, दैनिक भास्कर के समूह संपादक श्रवण गर्ग और आज़तक के समाचार निदेशक क़मर वहीद नक़वी इस मौके पर उपस्थित थे। हिन्दी के भविष्य को लेकर इनमें से कुछ चिंतित थे तो कुछ उम्मीदों से भरे हुए दिखे। संगोष्ठी की अध्यक्षता संस्थान के वरिष्ठ शिक्षक प्रो.के.एम.श्रीवास्तव ने की और संचालन हिन्दी पत्रकारिता के पाठ्यक्रम निदेशक डॉ.आनंद प्रधान ने किया।
बीज वक्तय रखते हुए सी.एन.ई.बी न्यूज़ चैनल के सीईओ और प्रधान संपादक राहुल देव ने ख़तरे की घंटी बजाई। उनका कहना था कि अगर हिन्दी की यही हालत रही तो 2050 तक भारत लिखाइ और पढाई के सारे गंभीर काम अंग्रेज़ी में कर रहा होगा और हिन्दी सिर्फ मनोरंजन की भाषा बनकर रह जाएगी। उन्होनें कहा कि किसी भी भाषा के बदलने से उस भाषा को बोलने वालों के संस्कार भी बदलते हैं। राहुल देव की बात को निराशाजनक बताते हुए नई दुनिया के राष्ट्रीय संपादक मधुसूदन आनंद ने कहा कि बदलते समय और तकनीक के साथ हिन्दी को भीबदलना ही होगा वरना इसे खत्म होने से कोई नही बचा पाएगा। उन्होने कहा कि अगर अंग्रेज़ी के कुछ शब्द हिन्दी में आ रहे हैं तो उन्हें रोकना नही चाहिए।
इस अवसर पर दैनिक भास्कर के समूह संपादक श्रवण गर्ग ने कहा कि भविष्य में वही हिन्दी चलेगी जो सरल होगी और आसानी से समझ में आने वाली होगी। उन्होनें कहा कि अंग्रेज़ी के शब्दों के आने से उसका वर्चस्व नहीं हो पाएगा बल्कि उससे हिन्दी और समृद्ध होगी। भविष्य की हिन्दी पर अपने विचार रखते हुए आज़तक के समाचार निदेशक क़मर वहीद नक़वी ने कहा कि भाषा में बदलाव और शब्दों का लेनदेन स्वभाविक है। उन्होनें इस बात को एक हद तक सही बताते हुए कहा कि भाषा का बदलाव ऐसा नही होना चाहिए कि उसके संस्कार ही खत्म हो जाए। उन्होनें कहा कि भाषा को पानी की तरह होना चाहिए, उसे जिस बरतन में रखा जाए उसी का रूप ले ले। संगोष्ठी का समापन प्रश्नकाल के साथ हुआ जिसमें इन संपादकों ने संस्थान के विधार्थियों के प्रश्नों के उत्तर दिए।