शुक्रवार, 2 अक्तूबर 2009

मीरा, दिनकर, ग़ालिब, बच्चन और बिस्मिल नज़र आए एक मंच पर!!


शशि भूषण : कल्पना कीजिए एक ऐसे मंच की जहाँ दिनकर, ग़ालिब, मीराबाई और बच्चन एक साथ अपनी कविताएँ प्रस्तुत करते दिखाई दें। सोच कर ये भले ही असंभव सा लगे मगर ऐसे ही माहौल को बिलकुल जीवंत बना दिया भारतीय जन संचार संस्थान के हिन्दी पत्रकारिता विभाग के छात्र-छात्राओं ने। इन लोगों ने अलग-अलग समय के इन विभूतियों को एक साथ एक ही मंच पर ला खड़ा किया।
मौका था संस्थान में हिन्दी पखवाड़ा के समापन समारोह का और कार्यक्रम का नाम था ‘कवि दरबार’। कार्यक्रम में हिन्दी पत्रकारिता के नौ छात्र-छात्राओं देश के महान कवियों की कविताओं को प्रस्तुत किया। हू-ब-हू इन महान कवियों जैसी वेश-भूषा और हाव भाव के साथ प्रस्तुत किए गए इस कार्यक्रम ने सभी लोगों को मंत्रमुग्ध सा कर दिया। वहाँ उपस्थित हर व्यक्ति के चेहरे पर प्रशंसा के भाव नज़र आ रहे थे। रामधारि सिंह दिनकर, राम प्रसाद बिस्मिल, मिर्ज़ा ग़ालिब, हरिवंश राय बच्चन, महादेवी वर्मा, विधापति, मीराबाई, फ़राज़ अहमद और माखनलाल चर्तुवेदी की कविताओं ने माहौल को कविमय बना दिया। सबसे ज़्यादा प्रभावित किया राम प्रसाद बिस्मिल बने अमिश कुमार रॉय ने । उनकी कविता की हर पंक्ति के साथ हॉल इन्क़लाब जिन्दाबाद के नारों से गूँज उठता था । दूसरी तरफ मधुशाला के प्याले ने लोगों को झूमने पर मजबूर कर दिया। राष्ट्रकवि दिनकर की पंक्तियों से फूट रहे ओज ने एक नए जोश का संचार किया।
आज की युवा पीढी में जहाँ कविताओं और कहानियों के प्रति रुझान कम होता जा रहा है वहीं हिन्दी पत्रकारिता के इन छात्रों ने ये साबित कर दिखाया की ऐसे युवा भी हैं जो ना हिन्दी को भूले हैं और ना इससे जुड़े लोगों को।

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